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आवारा बादल


1. बचपन का यार 

रवि ऑफिस से घर जाने को तैयार हो ही रहा था कि अचानक उसके सहायक कर्मचारी ने एक स्लिप पकड़ाते हुये कहा कि "साहब , कोई सज्जन आपसे मिलना चाहते हैं"। 

रवि एकदम से झुंझलाया । घर जाते समय में अब ये कौन आ मरा ? पहले ही बहुत लेट हो चुका हूं उस पर ये कौन आफत गले पड़ गई ? उसने मन ही मन उस आगन्तुक को सैकड़ों गालियां दे डाली । 

सरकारी अधिकारियों के साथ अक्सर ऐसा होता आया है कि लोग अपने काम के लिए सरकारी अधिकारियों से नजदीकी बढाने के लिए समय बेसमय आकर फिजूल की बातों में वक्त बर्बाद कर देते हैं । अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक गिर जाते हैं लोग । वे यह नहीं देखते कि उनके इस तरह असमय जाने से अधिकारी का कितना नुकसान होता है । मगर उन्हें इससे क्या ? उसने सिर झटक कर जता दिया कि वह जाने की फिराक में है । सहायक कर्मचारी ने जब उसे जाते हुए देखा तो कहा 

"ये सज्जन कह रहे हैं कि आप इनके बचपन में मित्र थे" । 

अब चौंकने की बारी रवि की थी । "बचपन का मित्र" ? 

एक बार फिर से उसने पर्ची देखी जिस पर नाम लिखा था "विनोद शर्मा" । कौन है ये विनोद शर्मा ? उसने अपना दिमाग बहुत दौड़ाया मगर इस नाम का कोई व्यक्ति उसे याद नहीं आया । ऐसा कैसे हो सकता है कि बचपन के यार को वह भूल जाये ? उसने फिर से दिमाग दौड़ाया मगर इस बार भी वह असफल गोताखोर की तरह खाली हाथ लौट आया । फिर उसने सोचा कि जब वह खुद को बचपन का दोस्त बता रहा है तो उससे मिल ही लेना चाहिए । वैसे भी मिलने में हर्ज ही क्या है ? लेट तो पहले से हो ही रहा हूं थोड़ा और लेट सही । उसे रेलवे का सिद्धांत याद आया कि सारी गाड़ियों को लेट करने के बजाय एक ही गाड़ी को लेट करना चाहिए जिससे एक ही गाड़ी लेट हो और बाकी गाड़ियां  सही समय पर चल सकें । इस तरह उसने उससे मिलने का मन बना लिया ।

वह अपनी सीट पर बैठ गया और उसने चपरासी से कह दिया कि उसे भेज दे । चपरासी भी इससे खुश हो गया और उसने एक जोरदार सैल्यूट मारा और "यस सर" कहकर चला गया ।

थोड़ी देर में एक अधेड़ सा व्यक्ति अंदर आया । रवि ने उसे पहचानने की कोशिश की मगर पहचान नहीं सका । आगन्तुक ने एक जोरदार ठहाका लगाया और कहा " अब भी नहीं पहचाने" ? 

उसकी आवाज से रवि उसे पहचान गया "अरे , तू है क्या नंबरी ? कितने सालों बाद देखा है तुझे यार । तेरा तो हुलिया ही बदल गया है साले । आज कहाँ से टपक पड़ा तू" ? 

रवि अपनी सीट से खड़ा हो गया और आगे बढकर उसने 'नंबरी' को बांहों में भर लिया । रवि विनोद को बचपन में "नंबरी" कहकर बुलाता था और विनोद रवि को "बादल" कहकर बुलाता था । दोनों यार एक दूसरे के गले मिले और एक दूसरे को देखकर फिर से हंस पड़े । 

"आज ये ईद का चांद कहाँ से दिखाई दे गया रे ? क्या करता है तू आजकल और यहां दिल्ली कैसे आया ? मेरा पता कहाँ से मिला तुझे" ? राजेश खन्ना स्टाइल में रवि बोला ।

"एक बार में ही इतने सवाल पूछ डाले कि बताने में मुझे सदियों लग जायेंगी । मैं आपकी तरह तो बुद्धिमान हूँ नहीं जो इतना सब कुछ एक बार में ही याद रखूं । मैं तो एक आम आदमी हूँ , इतना विद्वान नहीं हूं मैं । इसलिए एक एक कर सवाल पूछिए महाशय । मैं तब ही बता पाऊँगा " । विनोद ने बैठते हुये कहा । 

"ओ के । चल पहले ये बता कि तू कर क्या रहा है" ? रवि अपनी बचपन वाली जिंदगी में लौट रहा था । 

"एक सरकारी स्कूल में अध्यापक हूँ । वो अपने गांव के पास ही एक गांव है ना ऊकरूंद, बस उसी गांव के माध्यमिक विद्यालय में सामाजिक ज्ञान पढ़ाता हूँ" ।

"अरे , ऊकरूंद में माध्यमिक विद्यालय हो गया क्या ? पहले तो केवल प्राथमिक विद्यालय ही था जब अपुन अपने गांव के विद्यालय में पढते थे । कब हुआ वह" ?

"हां, अब वहाँ पर माध्यमिक विद्यालय हो गया है और विद्यार्थी भी बहुत सारे हैं । स्टाफ भी ठीक ठाक ही है । ज्यादातर अध्यापक अपने गांव "सरौली" से ही अप डाउन करते हैं" ।  

"यहां कैसे आना हुआ आज ? और रह कहाँ रहा है तू आजकल ? बच्चे कैसे हैं तेरे ? कितने बच्चे हैं और क्या कर रहे हैं" ? रवि ने कौतुहल से पूछ डाला ।

"फिर से एक साथ इतने सारे प्रश्न" ? विनोद ने हंसते हुये कहा । 

"सॉरी, सॉरी, सॉरी । आदत से मजबूर हूँ यार । अरे मैं तो भूल ही गया । चाय या कॉफी ? विद शुगर या विदाउट शुगर" ? 

"चाय पी लेंगे शुगर वाली । अभी तो भगवान की कृपा बनी हुई है जो शुगर वाली चाय पी लेते हैं । अपने इलाके में तो वैसे भी मीठे से विशेष लगाव है । खाना खाने के साथ भी कुछ मीठा चाहिए ।  और आप बताओ , आप मीठी पीते हो या फीकी ? 

"मैं भी शुगर वाली ही ले लूंगा , तेरे साथ । वैसे मैं विदाउट शुगर लेता हूँ । वैसे मुझे डायबिटीज वगैरह कुछ नहीं है मगर प्रिकॉशन के तौर पर फीकी ही पीता हूँ । लोग अपनी मीठी मीठी बातों से ही खूब शुगर खिला जाते हैं"। उसने व्यंग्य पूर्वक कहा ।  

"और तू साले , ये आप आप कहकर क्यों बुला रहा है मुझे ? ऐसा लग रहा है जैसे कोई डंडा मार रहा हो । बचपन में तो तू तड़ाक ही करता था तू । अब क्या हो गया है तुझे ? अब भी वैसे ही बात कर जैसे पहले करता था । आखिर हम दोनों बचपनके यार हैं न" । रवि ने उसकी पीठ पर एक धौल जमाते हुये कहा । 

"आप ठहरे इतने बड़े IAS ऑफिसर और मैं ठहरा एक मामूली सा अध्यापक । कहाँ राजा भोज और कहां गंगू तेली । मेरी और आपकी क्या बराबरी । मैं सुदामा और आप कृष्ण । इसलिए आप कहकर नहीं बोलूंगा तो कैसे बोलूंगा" ।'नंबरी' का स्वर भीग गया था । "ये तो आपकी महानता है जो इतने सालों बाद मिलने पर भी आपने मुझे पहचान लिया और अपने पास बैठाकर मुझे चाय भी पिला रहे हो । वरना  IAS अधिकारी तो पहचानने से ही इंकार कर देते हैं" । विनोद कृतज्ञता से झुक गया था ।

रवि ने घंटी बजाकर चपरासी को बुलाकर दो शुगर वाली चाय और बिस्किट वगैरह लाने को बोला । फिर नंबरी की पीठ पर एक और धौल जमाते हुये कहने लगा " देख साले , ये आप आप करेगा तो लात मारकर भगा दूंगा । बचपन में भी तू ऐसे ही बोलता था क्या" ? 

"बचपन की बात कुछ और थी । जब हम प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थी थे , दोनों एक ही धरातल पर थे । मगर अब जमीन आसमान का अंतर है दोनों के स्टेटस में" । 

"अबे देख, बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है । इससे आगे जायेगा तो फिर मार खायेगा तू" । रवि ने दो टूक शब्दों में अपना फैसला सुना दिया । 

"अच्छा बाबा अब नहीं बोलूंगा आप । अब तो खुश" ? विनोद उसके साथ अनौपचारिक होने की कोशिश करने लगा ।

"ये हुयी ना यारों वाली बात " । फिर से विनोद की पीठ पर एक और धौल जमाते हुये रवि ने कहा । रवि की यह बचपन की आदत थी जो आज भी बरकरार है । 

इतने में चपरासी चाय बिस्किट , नमकीन वगैरह ले आया । रवि ने पूछा "आज तो तू यहीं रुकना । अब वापस कहाँ जायेगा" ? 

"आप , सॉरी , तुम कहते हो तो रुक जाऊंगा । पर मेरे कारण कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना घर में" ? विनोद ने डरते डरते पूछा । 

" दिक्कत होगी भी तो तू क्या किसी होटल में ठहरेगा ? मेरे होते हुए ऐसा कर पायेगा तू ? तुझे शर्म नहीं आयेगी ? तू वही नंबरी है या तू बदल गया है" रवि की अनौपचारिकता ने विनोद का दिल जीत लिया । इस बात से विनोद गदगद हो गया । वह तो डरते डरते आया था कि पता नहीं रवि उसे पहचानेगा भी या नहीं । मगर रवि की इतनी आत्मीयता देखकर विनोद भाव विभोर हो गया । रवि आज भी खरा सोना है यह जानकर उसे बड़ी तसल्ली हुई ।


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13 Comments

Pratikhya Priyadarshini

16-Sep-2022 09:15 PM

Achha likha hai 💐

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Shalu

10-Jan-2022 09:17 PM

Bahut badiya

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Hari Shanker Goyal "Hari"

10-Jan-2022 10:10 PM

धन्यवाद जी

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Abhinav ji

23-Dec-2021 11:57 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

25-Dec-2021 07:41 AM

🙏🙏

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